पाठकों से निवेदन

इस ब्लोग पर तंत्र, मंत्र, ज्योतिष, वास्तु व अध्यातम के क्षेत्र की जानकारी निस्वार्थ भाव से मानव मात्र के कल्याण के उद्देश्य से दी जाती है तथा मैं कोई भी फीस या चन्दा स्वीकार नहीं करता हुं तथा न हीं दक्षिणा लेकर अनुष्ठान आदि करता हुं ब्लोग पर बताये सभी उपाय आप स्वंय करेगें तो ही लाभ होगा या आपका कोई निकट संबधी निस्वार्थ भाव से आपके लिये करे तो लाभ होगा।
साईं बाबा तथा रामकृष्ण परमहंस मेरे आदर्श है तथा ब्लोग लेखक सबका मालिक एक है के सिद्धान्त में दृढ़ विश्वास रखकर सभी धर्मों व सभी देवी देवताओं को मानता है।इसलिये इस ब्लोग पर सभी धर्मो में बताये गये उपाय दिये जाते हैं आप भी किसी भी देवी देवता को मानते हो उपाय जिस देवी देवता का बताया जावे उसको इसी भाव से करें कि जैसे पखां,बल्ब,फ्रिज अलग अलग कार्य करते हैं परन्तु सभी चलते बिजली की शक्ति से हैं इसी प्रकार इश्वर की शक्ति से संचालित किसी भी देवी देवता की भक्ति करना उसी शाश्वत निराकार उर्जा की भक्ति ही है।आपकी राय,सुझाव व प्रश्न सीधे mahesh2073@yahoo.comपर मेल कीये जा सकते है।

Saturday, December 19, 2015

ईश्वास्यमिदं सर्वम । आओ प्रेम के प्रयोग से बीमारियों पर विजय पायें।

आज मैं आपको बताउंगा की कैसे आप अपने बचपन में लोट सकते हैं जब आप बच्चे थे तो आपको वो कोई बीमारी नहीं थी जो आज है। क्या आपने किसी बच्चे के ब्लड प्रैशर सुना है? पहले बच्चों के शुगर भी नहीं होती थी परन्तु आजकल होती है उसकी वजह डोक्टरों द्वारा बच्चों पर पीपीआई ( प्रोटोन पम्प इन्हीबेटर ) का रेगुलर उपयोग करना मैं मानता हुं यह मेरे अगले आलेख में मैं आपको बताउंगा कि कैसे आपके चिकित्सक आपको मधुमेह व घुटनों का दर्द मुफत दे रहें हैं।
आज का मूल विषय यह है कि हम बच्चे थे तो हमें डीप्रेशन क्यों नहीं था? हमें रात को नीदं की गोली खाये बगैर नींद क्यों आती थी? हम इतने खुश व उत्साहित क्यों रहते थे? हमें कुछ भी खा लेने पर एसिडीटी क्यों नहीं होती थी? हमें थायराईड व डायबिटीज क्यों नहीं थी?
दरअसल आज की इन सभी समस्याओं का राज यर्जुवेद के 40 वे अध्याय में छुपा है जिसे ईशोपनिषद कहा जाता है यदि आप साईं बाबा को मानते हैं तो आपने सांई सत्तचरित्र का अध्ययन किया होगा उसमें भी ईशोपनिषद की शिक्षाओं का सांई बाबा भी उपदेश करते थे इसके बारे में बताया गया है।
यर्जुवेद के 40 वें अध्याय का पहला श्लोक है
ईश्वास्यमिदं सर्वम
अर्थात सभी वस्तुएं ईश्वर से ओतप्रोत है ओर हमें सभी प्राणियों में ईश्वर का दर्शन करना चाहिये जैसे छोटे बच्चे करते हैं। आप फिर चौंक गये होगें कि छोटे बच्चे सभी प्राणियों में ईश्वर का र्दशन कहां करते हैं? इसका अर्थ है छोटे बच्चे जातिवाद धर्म मत सम्प्रदाय के आधार पर भेदभाव नहीं करते छोटा बच्चा कुते के पास भी खेलने चला जाता है वो कुते को देखकर भी आत्मियता से हंसता है उसकी आाखों में देखो आप किसी छोटे बच्चे को पुचकारों वो आप की तरफ भी उसी प्रेम व आत्मियता से देखने लगेगा वो नहीं सोचता कि आपकि जाति क्या है आप किस धर्म मत पंथ को मानते हैं वो नहीं देखता कि आप पद में उससे बड़े हैं या छोटे वो नहीं देखता कि आप उसके क्या लगते हैं?
आप इन सब बातों को नहीं मानते क्यों कि ये विज्ञान का युग है आपको ऐसे उपदेश अच्छे नहीं लगते व बकवास लगते हैं चलो इसकी एक प्रयोग द्वारा पुष्टि करें क्यों कि मैं भी विज्ञान का विर्धाथी हुं तथा विज्ञान को मानता हुं इसलिये एक प्रयोग करते हैं
कल सिर्फ एक दिन जब आप सोकर उठें तब से लेकर शाम को सोने जाने से पूर्व मन में इस वाक्य को याद रखें कि
ईश्वास्यमिदं सर्वम
इस एक दिन आप सभी को अपना माने सभी से प्रेम से रहें सभी में अपने इष्ट देवता या भगवान के दर्शन करें सभी से हंसकर बात करें किसी की बुराई दिल से न करें मुंह से निकल जावे तो कोई बात नहीं एकदिन अखबार नहीं पढें इस एक दिन टीवी पर न्यूज चैनल नहीं देखें क्यों कि नकारात्मक खबरों से आप यह भुल जावेगें कि ईश्वास्यमिदं सर्वम व आप भी बुराईयां करके अपना दिल जलाने लगेगें व अपने खुद के हार्मोन बिगाड़ लेगें।
एक दिन आप ऐसी जिंदगी जी लेगें तो मुझे बताने कि जरूरत नहीं की आपके साथ कितने चम्तकार होगें यह आप प्रयोग करने के बाद कमेंट में स्वंय बतावेंगें तो ज्यादा अच्छा लगेगा।
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